अजीब खेल है उस परमात्मा का लिखता भी वही है मिटाता भी वही है भटकाता है राह तो दिखाता भी वही है उलझाता भी वही है सुलझाता भी वही है जिंदगी की मुश्किल घड़ी में दिखता भी नहीं मगर साथ देता भी वही हैं।
कोई सराहना करे या निंदा लाभ आपका ही है, क्योंकि..... प्रशंसा प्रेरणा देती है और निंदा सुधरने का अवसर। आँसू जानते हैं कौन अपना है तभी तो अपनों के सामने टपक जाते है, मुस्कुराहट का क्या है वह तो ग़ैरों से भी वफ़ा कर लेती है।