शुभचिन्ता
कोई सराहना करे या निंदा
लाभ आपका ही है,
क्योंकि.....
प्रशंसा प्रेरणा देती है
और निंदा
सुधरने का अवसर।
आँसू जानते हैं कौन अपना है
तभी तो अपनों के सामने टपक जाते है,
मुस्कुराहट का क्या है
वह तो ग़ैरों से भी वफ़ा कर लेती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें